दोस्तों यूं तो, आए दिन देश में समितियों व आयोगों (Indian Committee and Commission) का गठन होता रहता है, लेकिन इस टॉपिक से, नीचे लिखित प्रश्न-उत्तर (Hindi gk questions) आपकी परिक्षा के लिहाज से अति महत्वपूर्ण हैं, निम्नलिखित प्रश्न, हमने गतवर्षो के SSC, UPPCL, UPSSSC, Bank, CPO, CGL, CHSL, MTS,UP Police, Delhi police, DSSSB, की परीक्षाओंं से लिए है, और मैं यकीनन कह सकता हूं कि भविष्य में होने वाली अन्य प्रतियोगिताओं में भी ये क्वेश्चन आपको लाभ पहुंचाएंगे, इसके अलावा हमने मुख्य समितियों का विस्तृत परिचय भी दिया है, आप अपनी परिक्षा के अनुरूप इसे पढकर याद कर सकते है ।
1.रिजर्व बैंक की स्थापना किस समिति की सिफारिशों पर हुई- हिल्टन यंग समिति की सिफारिशों पर |
2. भारतीय योजना आयोग का गठन हुआ- नियोगी समिति की सिफारिशों पर |
3. भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार जोड़े गए- जे बी कृपलानी समिति की सिफारिशों पर |
4.राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज से संबंधित समिति है- फेरवानी समिति |
5.नरसिम्मन समिति किससे संबंधित है- बैंकिंग प्रणाली के सुधार से |
6.गोपीनाथन समिति किससे संबंधित है- यह भी बैंकिंग प्रणाली के सुधारों से संबंधित है |
7.राज्य चेलैया समिति किससे संबंधित है- कर सुधार से |
8.रंगनाथन समिति किससे संबंधित है- सामाजिक कल्याण से |
9.आबिद हुसैन समिति किस लिए प्रसिद्ध है- लघु उद्योग विस्तार से |
10.तेंदुलकर समिति किससे संबंधित है- निर्धनता आकलन से |
11. स्वामीनाथन समिति किससे संबंधित है- जनसंख्या नीति से |
12. महालनोबिस समिति किससे संबंधित है- राष्ट्रीय आय आकलन से |
14. जानकी समिति किससे संबंधित है- प्रतिभूति घोटालों से |
15. मौलिक अधिकारों का संरक्षक किसे कहा जाता है- जे बी कृपलानी समिति को |
16. बलवंत राय मेहता समिति किससे संबंधित है- पंचायती राज व्यवस्था से |
17. अशोक मेहता समिति किससे संबंधित है- पंचायती राज व्यवस्था से, |
नोट-सर्वप्रथम राजस्थान के नागौर जिले में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज स्थापित हुआ, फिर 1956 में बलवंत राय मेहता समिति के आधार पर पूर्ण भारत में लागू हुआ, इस दौरान कुछ खामियां नजर आई, जिन्हें दूर करने के लिए फिर से अशोक मेहता समिति का गठन किया गया
मुख्य आयोग-
1. सहकारिया आयोग संबंधित है- केंद्र व राज्यों के बीच संबंध स्थापित करने हेतु
2. ठक्कर आयोग की स्थापना की गई-इंदिरा गांधी हत्याकांड की जांच हेतु
3. जैन आयोग की स्थापना की गई-राजीव गांधी हत्याकांड की जांच हेतु
4.लिब्रहान आयोग की स्थापना की गई-बाबरी मस्जिद गिराने की जांच हेतु
5. कृष्णा आयोग की स्थापना की गई-मुंबई दंगों की जांच करने हेतु
6. नानावती आयोग की स्थापना की गई-तहलका कांड की जांच हेतु
7. हंटर आयोग- जलियावाला बाग हत्याकांड जांच से संम्बन्धित था
भारतीय समितियों और मुख्य आयोगों (Indian Committee and Commission) ने भारत कि नीतियों को आकार देने, सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने और देश में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पूरे भारत के इतिहास में स्थापित कई समितियों में से कई अपने प्रभाव और योगदान के लिए प्रसिद्ध है, जिससे भारतीय समाज में बडा बदलाव आ सका है, इसके अलावा गठित मुख्य आयोगो ने भी इस क्रम में कार्य किया है। अपने इस लेख में हम उन मुख्य भारतीय समितियों एंव मुख्य आयोगों का उल्लेख करेंगे जो आपकी आगामी प्रतियोगी परिक्षाओं के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
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हिल्टन यंग कमेटी (Hilton Young Committee), जिसे भारतीय मुद्रा और वित्त, रॉयल कमीशन के रूप में भी जाना जाता है, का गठन 1925 में किया गया था। इसका उद्देश्य भारत की वित्तीय और मौद्रिक प्रणाली में सुधारों की समीक्षा करना और प्रस्ताव देना था। समिति की सिफारिशों ने भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 का आधार बनाया, जिसने रिज़र्व बैंक को देश की केंद्रीय बैंकिंग संस्था के रूप में स्थापित किया। कम शब्दों में कहे तो भारतीय रिजर्व बैंक कि स्थापना इसी कमेटी के अनुसंशा पर कि गई थी, इसी लिए इस कमेटी को रॉयल कमीशन भी कहा गया था।
1951 में गठित नियोगी समिति(Niyogi Committee) का उद्देश्य भारत में सिविल सेवाओं के संगठन और संरचना की जांच करना और सिफारिशें करना था। इसकी रिपोर्ट ने निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और राज्य लोक सेवा आयोगों (एसपीएससी) की स्थापना सहित सिविल सेवा प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार किए। भारतीय योजना आयोग का गठन नियोगी समिति कि सिफारिश पर किया गया था। नोट- वर्तमान में योजना आयोग का नाम बदलकर निति आयोग कर दिया गया है। निति आयोग के प्रधान अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते है।
जेबी कृपलानी समिति (J B Kriplani Committee), जिसे कांग्रेस संसदीय बोर्ड समिति के रूप में भी जाना जाता है, का गठन 1950 में किया गया था। इसने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को एक राजनीतिक दल के रूप में मजबूत करने के उपायों पर ध्यान केंद्रित किया। समिति ने पार्टी के आंतरिक कामकाज और लोकतांत्रिक निर्णय लेने की प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए सिफारिशें कीं। जेबी कृपलानी समिति (J B Kriplani Committee) कि सिफारिश पर ही भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों को जोडा गया था।
1979 में स्थापित फेरवानी समिति (Ferwani Committee) ने भारत में कपड़ा उद्योग के कामकाज की जांच की और इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के उपाय प्रस्तावित किए। समिति की सिफारिशों का उद्देश्य कपड़ा उत्पादन को बढ़ावा देना, निर्यात को बढ़ावा देना और उद्योग की समग्र दक्षता में सुधार करना है। इसके अलावा राष्ट्रिय स्टोक एक्सचेंन्ज कि स्थापना भी फेरवानी समिति कि अनुशंसा के आधार पर कि गया थी।
1986 में गठित रंगनाथन (Ranganathan Committee) समिति को भारत में कृषि ऋण प्रणाली के कामकाज की समीक्षा करने का काम सौंपा गया था। समिति की सिफारिशों ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना और किसानों को कृषि ऋण वितरण में सुधार करने में योगदान दिया। इसके अलावा रंगानाथन समिति को मुख्य रूप से सामाजिक कल्यान सुधार के रूप में जाना जाता है, क्योकिं इस समिति नें निम्न वर्ग को ध्यान में रखते हुए अन्य बहुत सी छोटी- बडी योजनाओं मे योगदान दिया।
प्रशांत चंद्र महालनोबिस के नेतृत्व में महालनोबिस समिति (Mahalanobis Committee) की स्थापना 1953 में की गई थी। इस समिति को भारत में आर्थिक नियोजन के लिए एक रणनीति तैयार करने एवं राष्ट्रिय आय का आकलन करने हेतु गठित किया गया था । इसकी सिफारिशों ने संतुलित विकास हासिल करने और क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने के लिए प्रमुख क्षेत्रों में औद्योगीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास और निवेश के महत्व पर जोर दिया।
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स्वामीनाथन समिति (Swaminathan Committee) की अध्यक्षता प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन की स्थापना 2004 में किसानों के कल्याण और कृषि विकास से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए की गई थी। समिति की सिफारिशों में कृषि उत्पादकता बढ़ाने, किसानों की आय में सुधार करने और स्थायी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के उपाय शामिल थे।
1957 में स्थापित बलवंत राय मेहता समिति (Balwant Rai Mehta Committee) ने भारत में स्थानीय शासन संस्थानों के कामकाज की जांच की। समिति की सिफारिशों के कारण पंचायती राज संस्थाओं की स्थापना हुई, जिसका उद्देश्य सत्ता का विकेंद्रीकरण करना और निर्णय लेने की प्रक्रिया में जमीनी स्तर पर भागीदारी सुनिश्चित करना था।
1977 में गठित अशोक मेहता समिति (Ashok Mehta Committee) ने भारत में शहरी स्थानीय निकायों की स्थिति और कामकाज का अध्ययन करने पर ध्यान केंद्रित किया। समिति की सिफारिशों का उद्देश्य शहरी शासन को मजबूत करना, नगर निगम के वित्त में वृद्धि करना और शहरी क्षेत्रों में सेवा वितरण में सुधार करना है। कुल मिलाकर, अशोक मेहता समिति का गठन पंचायती राज व्यावस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए गया था।
भारत में सहकारी समितियों के कामकाज का अध्ययन और आकलन करने के लिए सहकारिया आयोग (co-operative commission) का गठन किया गया था। ये समाज सामूहिक प्रयासों के माध्यम से स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने, कृषि और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आयोग का उद्देश्य चुनौतियों की पहचान करना, सुधारों का सुझाव देना और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में सहकारी संस्थाओं की प्रभावशीलता को बढ़ाना है।
नरसिम्हन समिति, जिसे वित्तीय प्रणाली (सीएफएस) पर समिति के रूप में भी जाना जाता है, का गठन 1991 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर एम. नरसिम्हन की अध्यक्षता में किया गया था। समिति की स्थापना भारतीय वित्तीय प्रणाली की दक्षता, स्थिरता और प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करने के लिए जांच करने और सुधारों का सुझाव देने के उद्देश्य से की गई थी।
नरसिम्हन समिति ने दो व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की: पहली रिपोर्ट 1991 में और दूसरी रिपोर्ट 1998 में। इन रिपोर्टों ने भारतीय वित्तीय प्रणाली के विभिन्न पहलुओं को संबोधित किया और सुधारों के लिए दूरगामी सिफारिशें कीं। कुल मिलाकर इस समिति को भारतीय बैकिंग सिस्टम को मजबूती प्रदान करने के लिए जाना जाता है।
इंदिरा गांधी हत्याकांड से जुड़ी परिस्थितियों और घटनाओं की जांच के लिए ठक्कर आयोग (Thakkar Commission) की नियुक्ति की गई थी। आयोग ने इस दुखद घटना के लिए सुरक्षा चूकों और अन्य कारकों की जांच की। इसकी रिपोर्ट ने घटनाओं के क्रम में विशेष प्रारूप प्रदान किया और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की सिफारिशें पेश कीं। ज्ञात्वय है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदरा गांधी कि हत्या, उन्हीं के अंगरक्षको द्वारा कर दी गयी थी। जिस कारण देश में भारी रोष व्याप्त हो गया था।
जैन आयोग (Jain Commission) की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की जांच के लिए की गई थी। इसने हत्या के विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जांच की और एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की। जैन आयोग के निष्कर्षों ने मामले को समझने में योगदान देने वाले व्यक्तियों, संगठनों और घटना से संबंधित घटनाओं पर प्रकाश डाला।
लिब्रहान आयोग (librhan commission) का गठन अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की जांच के लिए किया गया था। इसका प्राथमिक उद्देश्य विध्वंस से पहले की घटनाओं के अनुक्रम की जांच करना और जिम्मेदार लोगों की पहचान करना था। आयोग की रिपोर्ट ने राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक पहलुओं सहित घटना में योगदान करने वाले कारकों में अंतर्दृष्टि प्रदान की।
कृष्णा आयोग को 2002 में गोधरा ट्रेन जलाने की घटना और उसके बाद गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा की जांच के लिए तथा मुम्बई दंगो कि जांच करने हेतु नियुक्त किया गया था। इसने कारणों, परिस्थितियों और हिंसा से निपटने की जांच की और अपने निष्कर्षों के साथ एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की। आयोग की सिफारिशों का उद्देश्य सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देना, पीड़ितों को न्याय दिलाना और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकना है।
नानावती आयोग (Nanavati Commission) को प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए 1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच, तहलका कांड कि जांच करने का काम सौंपा गया था। आयोग ने घटनाओं की जांच की, जिम्मेदार लोगों की पहचान की और भविष्य में ऐसी सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई और उपायों के लिए सिफारिशें प्रदान कीं। इसकी रिपोर्ट ने इस मुद्दे को संबोधित करने और पीड़ितों के लिए न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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