बाल श्रम दुनिया के कई देशों में एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है, और हमारा भी उन देशों में एक है। इससे निपटने के लिए सरकार के बहुत प्रयासों और पहलों के बावजूद, बाल श्रम जारी है, जिससे लाखों निर्दोष जीवन प्रभावित हो रहे हैं। हमारे इस लेख का उद्देश्य भारत में बाल श्रम की स्थिति, इसके कारणों, परिणामों और इस शोषणकारी प्रथा कि तरफ सबका ध्यान आकर्षित करना है।
क्या है बाल श्रम (what is child labour)
बाल श्रम का तात्पर्य ऐसे बच्चों को काम पर लगाना है जो उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक कल्याण के लिए हानिकारक है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, बाल श्रम में ऐसे कार्य शामिल हैं जो बच्चों को उनके बचपन से वंचित करते हैं, नियमित स्कूलों में जाने से रोककर उनकी शिक्षा को प्रभावित करता है, उन्हें मानसिक, शारीरिक, सामाजिक या नैतिक रूप से हानि पहुँचाता है।
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बाल श्रम का मुख्य कारण क्या है-
बाल श्रम के पीछे गरीबी सबसे मुख्य कारक है, क्योंकि अत्यधिक गरीबी में रहने वाले परिवार अक्सर घरेलू जरूरतों के लिए अपने बच्चों की श्रम आय पर निर्भर करते है। इसके अलावा बच्चों के माता – पिता व परिवारजनों मे पूर्व से शिक्षा के महत्व का अभाव होना इसका दूसरा मुख्य कारण है। भारत में आज भी एक बडां तबका दैनिक मजदूरी के भरोसे जीवन काट रहा है। अब इसी मान्यता के आधार पर बच्चे भी शिक्षा से दूर रहकर परिवार कि आय के स्त्रोत बढाने के लिए बाल मजदूरी जैसे अभिशाप से ग्रस्त हो जाते है।
बाल श्रम निषेध अधिनियम 1986 क्या है-
बाल श्रम निषेध अधिनियम 1986, भारत में बाल मजदूरी को निषेधित करने के लिए बनाया गया अधिनियम है। इसके मुताबिक, 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को, किसी भी व्यापार, उद्योग, या सेवा में काम करने से रोका जाना चाहिए। यदि कोई बाल श्रम के खिलाफ अधिनियम का उल्लंघन करता है, तो वह दंडात्मक कार्रवाई का सामना कर सकता है। बाल श्रम निषेध अधिनियम 1986, बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और उनके अधिकारों के संगरक्षण के लिये अम्ल में लाया गया अधिनियम है।
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बाल श्रम रोकने के नियम क्या है-
- 14 वर्ष कि उम्र से कम या 14 वर्ष कि आयु तक कोई बच्चा, मजदूर के रूप में कार्य नहीं कर सकता,ना ही उससे कोई मजदूरी करायेगा।
- यदि कोई बाल मजदूरी में करवाने में लिप्त पाया जाता है तो उसे दो साल तक जेल कि सजा हो सकती है।
- बाल मजदूरी कराने वाले व्यक्ति को 20 हजार से लेकर 50 हजार तक के नगद जुर्मानें से दंण्डित किया जा सकता है।
- कानून के तहत 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे, जिन्हें किशोर कि संज्ञा मे रखा गया है, खतरनाक व्यवसाय या उधोगो में काम नही कर सकता है।जैसे मील, कोयला खानें इत्यादि।
- 14 साल से कम उम्र का बच्चा अपने परिवार के काम में मदद कर सकता है, यदि वह काम खतरनाक नहीं है, ओर यह काम भी बच्चा अपने स्कूल से आने के बाद प्रयाप्त समय के लिए कर सकता है। उसके लिए शिक्षा सर्वप्रथम है।
- 14 से 19 वर्ष के बीच का किशोर किसी खान, ज्वलनशील पदार्थ एवं खतरनांक प्रक्रियाओं के अधीन काम नहीं करेगा। नाही वह किसी मादक पदार्थों के कारखानों में काम करने दिया जायेगा।
- खतरनाक व्यावसाय, जैसे ऑटोमोबाईल , वर्कशाप, गैराज, सर्कस, कचरा उठाना, अगरबत्ती, बीडी के कारखोनों में काम करना, जैसे 86 व्यावसाय बालश्रम कानून के तहत निषेध किये गये है। इनसे अलग इसके अन्तर्गत वे काम स्वतः अधीन होंगे जिनमें जान, जाने अथवा गंभीर चोटें शारिरीक या मानसिक लगने का भय हो।
बाल श्रम रोकने के लिए कहाँ ओर कैसे शिकायत करें-
- बाल श्रम कानून के तहत बाल श्रम से संम्बन्धित कोई भी सूचना आप बाल श्रम विभाग के नंम्बर 155214 पर दे सकते है। सुविधा के लिए सूचना देने के वाले कि जानकारी गुप्त रखी जाती है।
- आप जनपदीय AHTU थाना पर इसकी शिकायत लिखा सकते है।
- आप चाइल्ड लाईन सेवा 1098 पर कॉल करके सूचना दे सकते है।
- आप जनपदीय श्रम विभाग कि इकाई या आपातकालीन सेवा 112 डाईल कर बाल श्रम के खिलाफ आवाज उठा सकते है।
- आप अपने स्थानीय पुलिस थाने पर बाल श्रम के खिलाफ सूचना दे सकते है।
- इसके अलावा आप श्रम निषेध पोर्टल https://pencil.gov.in/ पर भी शिकायत कर सकते है।
- याद रहे- आपकी एक शिकायत, एक बचपन बचा सकती है।
भारतीय कानून में बच्चो को प्राप्त विशेषाधिकार-
- अनुच्छेद 21 केअनुसार 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार
- अनुच्छेद 23 के तहत बच्चों कि खरीद-बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाया गया है
- अनुच्छेद 24 के तहत 14 वर्ष से कम वर्ष के बच्चों को जोखिम भरे काम करने के लिए बाध्य करने वाला उचित धाराओं के अन्तर्गत दंण्डित होगा।
ध्यान रहे,
बच्चे देश का भविष्य है, हम सबका दायित्व है कि इन्हें हम बेहतर आज दें ताकि सुनहरे कल का निर्माण हो सके….