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भारत में कि महत्वपूर्ण कृषि क्रांति। हरित क्रांति, पीली क्रांति, श्वेत क्रांति, गुलाबी क्रांन्ती, रजत क्रांति, हिन्दी प्रश्न-उत्तर-2023

परिचय

हमारा भारत एक कृषि प्रधान देश है, कृषि भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, देश की जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान देती है। कृषि हमारे भारत कि आबादी, के एक बड़े हिस्से को रोजगार प्रदान करती है। पूर्व के वर्षों में, भारत ने कृषि क्षेत्र में कई क्रांति देखी हैं, इन कृषि क्रान्तियों ने भारत में पुरानी कृषि पद्धतियों को बहुत हद तक बदल दिया है, नई कृषि तकनीको से कृषि उत्पादन ओर किसान भाईयों की आय में बेजोड वृद्धि हुई है।इन्हीं कृषि क्रान्तियों में से एक क्रांति, जिसे हरित क्रांति (Green Revolution) का नाम दिया गया है, इसने भारत के कृषि परिक्षेत्र पर गहरा प्रभाव छोडा है।

Table of Contents

महत्वपूर्ण कृषि क्रांति 1
महत्वपूर्ण कृषि क्रांति। हरित क्रांति, पीली क्रांति, श्वेत क्रांति, गुलाबी क्रांन्ती, रजत क्रांति etc.

यू तो भारत में कृषि उत्पादन से सम्बन्धित अन्य कई क्रान्तियां अलग अलग क्षेत्र (उत्पादन बढाने हेतु) मे हुई है, जैसे- हरित क्रांति (Green Revolution) , श्वेत क्रांति (White Revolution), गुलाबी क्रांन्ती (Pink Revolution), रजत क्रांति (Silver Revolution), गोल क्रांति (Round Revolution) ,हरित सोना क्रांति (Green Gold Revolution), पीली क्रांति (Yellow Revolution), स्वर्ण क्रांन्ती (Golden Revolution), नीली क्रांति (Blue Revolution) , सदाबहार क्रांति (Evergreen Revolution) इत्यादि। इस महत्वपूर्ण लेख में आज हम आपको भारत में प्रमुख कृषि क्रांतियां, इनके महत्व और इनकी सफलता ओर इनके कृषि योगदान के बारे विस्तार से बताएंगे। साथ ही साथ परिक्षा के लिहाज से कृषि क्रान्ति पर आधारीत जीके (सामान्य ज्ञान) के प्रश्न-उत्रर भी पढेंगें।

हरित क्रांति (Green Revolution)

हरित क्रांति क्या है -1960 के दशक में शुरू हुई हरित क्राति (Green Revolution) ने भारत के कृषि इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया। इसमें कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए उच्च उपज वाली फसल किस्मों, आधुनिक कृषि तकनीकों और बेहतर सिंचाई विधियों की शुरूआत शामिल थी। क्रांति मुख्य रूप से गेहूं और चावल के उत्पादन पर केंद्रित थी और इसका उद्देश्य भूख से निपटने और बढ़ती आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना था। हरित क्रान्ति के अन्तर्गत कृषि करने में निम्नलिखित तरहा से काम किया गया-

हरित क्राति के जनक (father of the Green Revolution in India) डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन को भारत में हरित क्राति का जनक (पिता) कहा जाता है। इनके मार्गदर्शन मे भारतीय कृषि में बड़ा बदलाव किया गया। उन्होंने नई और बेहतर फसल किस्मों बीजों का उत्पादन किया और किसानों को आधुनिक और टिकाऊ खेती करने के तरीके सिखाए। भारत में हरित क्राति मे उनके योगदान के काऱण ही, आज का भारत अधिक भोजन का उत्पादन करने और आत्मनिर्भर बनने में सक्षम हुआ।

डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन को उनके योगदान के लिए भारत मे बहुत सम्मान दिया जाता है और इन्हें भारत हरित क्रान्ति (Green Revolution) के पिता कि संज्ञा दी जाती है। इसके अलावा Dr. M.S. Swaminathan को पहले नॉरमन बॉरलॉग एग्रीक्लचर एवार्ड से सम्मानित किया गया। नॉरमन बॉरलॉग एग्रीक्लचर एवार्ड, कृषि क्षेत्र मे दिया जाने वाला नोबेल माना जाता है। नोट- विश्व हरित क्रान्ति के जनक डॉ नॉरमन बॉरलॉग (father of the World Green Revolution) है। विश्व हरित क्राति में, इनके  योगदान के लिए इन्हें 1968 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

भारतीय हरित क्रांति के मुख्य तथ्य-

भारत में हरित क्राति कब हुई थी?

1960 और 1970 के दशक के दौरान भारत में हरित क्रांति हुई।

भारत में हरित क्राति के दौरान किन प्रमुख फसलों पर ध्यान केंद्रित किया गया था?

भारत में हरित क्रांति के दौरान केंद्रित प्रमुख फसलें गेहूं और चावल थीं।

भारतीय हरित क्राति के जनक (father of the Green Revolution in India) कौन थे?

डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन (Dr. M.S. Swaminathan)

विश्व हरित क्रांति के जनक (father of the World Green Revolution) कौन थे?

डॉ नॉरमन बॉरलॉग (Dr. Norman Borlaug)

भारत मे हरित क्रांति कौन सी पंचवर्षीय योजना के तहत शुरू हुई?

भारत में हरित क्रांति पंचवर्षीय योजना “शरद प्लान” के तहत शुरू हुई। यह योजना 1974-1979 के दौरान लागू की गई थी।

भारत मे हरित क्राति के दौरान कौन सी फसल उत्पादकता मे सर्वाधिक बढोत्तरी हुई?

भारत में हरित क्रांति के दौरान चावल (rice) की उत्पादकता में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी हुई। हरित क्रांति के लिए विकसित की गई उच्च उत्पादकता वाली चावल की खेती ने चावल की प्रति एकड़ उत्पादन में वृद्धि की।

हरित क्रांति के समय भारत के कृषि मंत्री कौन थे?

हरित क्रांति के समय भारत के कृषि मंत्री के. सुब्रमण्यम थे।

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उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग किया गया:- हरित क्राति ने उच्च उपज देने वाली फसल किस्मों, जैसे कि गेहूं और चावल के HYV (उच्च उपज वाली किस्म) के बीजों की शुरुआत की, जिनमें रोगों और कीटों के प्रति बेहतर प्रतिरोध था, और आधुनिक कृषि पद्धतियों के प्रति उत्तरदायी थे। इन बीजों में पारंपरिक किस्मों की तुलना में काफी अधिक पैदावार देने की क्षमता थी।

रासायनिक उर्वरक:- रासायनिक उर्वरकों, विशेष रूप से नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम (एनपीके) के उपयोग ने फसल उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन उर्वरकों ने मिट्टी को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान किए, जिसके परिणामस्वरूप पैदावार में वृद्धि हुई। हालाँकि, कुछ समय बाद पर्यावरण के जानकारो ने, मिट्टी के स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्थिरता के बारे में चिंताएँ भी उठाईं।

सिंचाई का बुनियादी ढाँचा तैयार किया गया- बढ़ी हुई खेती का समर्थन करने के लिए, हरित क्राति ने सिंचाई के बुनियादी ढाँचे के विकास पर ज़ोर दिया। बांधों, नहरों और नलकूपों के निर्माण से साल भर सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बनी रही, जिससे समय पर वर्षा पर भी जल निर्भरता बनी रही ।

कृषि करने में आधुनिक तकनीक का प्रयोग:- क्राति ने मशीनीकरण, फसल रोटेशन और कृषि रसायनों के समय पर उपयोग सहित आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने को बढ़ावा दिया। मशीनीकरण ने श्रम-गहन प्रथाओं को कम किया, दक्षता में वृद्धि की और उत्पादकता में सुधार हुआ।

हरित क्रांति के प्रभाव और लाभ:

हरित क्रांति (Green Revolution) के दौरान भारत ने कृषि उत्पादकता में काफी वृद्धि की, । अधिक उपज देने वाली किस्मों और आधुनिक तकनीकों को अपनाने से सिमित भूमि क्षेत्र से उच्च पैदावार हुई, जिससे भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में सक्षम हुआ।

कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ- साथ, भारत अपनी बढ़ती आबादी को खिलाने और खाद्य आयात पर निर्भरता कम करने में सक्षम था। इसने भूख को कम करने और देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिससे भारत में बेहतर खाद्य सुरक्षा कि व्यावस्था हो सकी।

हरित कृषि क्रांति से भारत की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। बढ़ी हुई कृषि उत्पादकता ने ग्रामीण आय सृजन, गरीबी के स्तर को कम करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में योगदान दिया। इसने संबद्ध उद्योगों जैसे कृषि-प्रसंस्करण, कृषि मशीनरी और उर्वरक उत्पादन के विकास के लिए एक मंच भी प्रदान किया।

हरित क्राति के कारण भारत में कृषि अनुसंधान और नई -नई कृषि तकनिकों का जन्म हुआ । इसने फसल सुधार, कृषि मशीनीकरण और पुरानी कृषि पद्धतियों को बदलकर , भारत में नई तकनीकी कृषि को जन्म दिया।

श्वेत क्रांति (White Revolution)

श्वेत क्राति क्या है– श्वेत क्राति भारत में एक डेयरी विकास कार्यक्रम था जिसका सम्बन्ध दूध उत्पादन से था।, इसे ऑपरेशन फ्लड के नाम से भी जाना जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बनाना था, या यूं कहिये कि भारत को दूध उत्पादन में अपने आत्मनिर्भर बनाना था । इस कार्यक्रम की शुरुआत 1970 में डॉ वर्गीज कुरियन ने भारत के सहकारी डेयरी आंदोलन के तहत की थी। इसलिए डॉ वर्गीज कुरियन को श्वेत क्रांति का जनक या पिता भी कहा जाता है।

श्वेत क्राति (White Revolution)का मुख्य उद्देश्य डेयरी सहकारी समितियों और तकनीकी डेयरी फार्मिंग प्रथाओं को बढ़ावा देकर दूध उत्पादन में वृद्धि करना था। इसके अन्तर्गत दूध संग्रह केंद्रों की स्थापना, ग्रामीण किसानों से दूध की खरीद और डेयरी केन्द्रों से दूध वितरण के बुनियादी ढांचे को तैयार करना शामिल था। ताकि दूध जरूरतमंदो तक समय से पहुँच सके, ओर दूध उत्पादकताओं को इसका फायदा आय के रूप मे प्राप्त हो सके।

श्वेत क्राति (White Revolution) के माध्यम से भारत ने दूध उत्पादन में बड़ी सफलता प्राप्त की, जिससे ग्रामीण आय, रोजगार के अवसर और पोषण के स्तर में सुधार हुआ। इस कार्यक्रम ने छोटे पैमाने के डेयरी किसानों को ऋण, पशु चिकित्सा सेवाएं और तकनीकी सहायता जैसी सुविधाएं प्रदान करके उनके सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया।

श्वेत क्राति ने भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने, दूध के आयात पर खर्चा कम करने, जैसे दूध को ले जा रहे वाहनों को टूल तथा अन्य टैक्सों कि छूट दी गयी । इसके अलावा भारत की सम्पर्ण आबादी को पौष्टिक डेयरी उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसे विश्व स्तर पर सबसे सफल कृषि विकास कार्यक्रमों में से एक माना जाता है और इसने भारत को वैश्विक डेयरी उद्योग में अहम भूमिका दिलाई है। यही कारण है कि आज भारत, विश्व के बडें दूध उत्पादनकर्ताओं कि सूची में शीर्ष पर खडा है।

पीली क्रांति (Yellow Revolution)

पिली क्रांति क्या है– तिलहन के उत्पादन में वृद्धि और तिलहन फसलों के विकास हेतु भारत में पिली क्राति का अनुमोदन किया गया , पिली क्रांति (Yellow Revolution) एक प्रयास था जिसके माध्यम से भारत में तिलहन फसलों की खेती को बढावा मिल सके, जिनका उपयोग खाद्य तेलों के लिए किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य था खाद्य तेलों की मांग को पूरा करना। पिली क्रांति में सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, और मूंगफली जैसी फसलों पर ध्यान केंद्रित किया गया था।

पिली क्राति (Yellow Revolution) के तहत आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग, उन्नत बीज विकास और खेती क्षेत्रों का विस्तार शामिल था। पिली क्रांति का मुख्य लक्ष्य था खाद्य तेलों की आयात कम करना और खाद्य तेल उत्पादन में स्वावलंबी बनाना। इसका ग्रामीण क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव हुआ, जैसे कि आय की वृद्धि, रोजगार के अवसर और कृषि का विविधीकरण। यह भारत की खाद्य तेल उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

गुलाबी क्रांन्ती (Pink Revolution)

गुलाबी क्रांति क्या है– गुलाबी क्राति का उपयोग भारत में मांस और कुक्कुट उद्योग के आधुनिकीकरण और विकास हेतु किया गया था। यह मांस, विशेष रूप से पोल्ट्री और पशुधन के उत्पादन, संगरक्षण और निर्यात पर केंद्रित है। गुलाबी क्रांति का उद्देश्य भारत और विदेशों में प्रोटीन युक्त भोजन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मांस उत्पादों के उत्पादन और गुणवत्ता में वृद्धि करना है।

गुलाबी क्राति के तहत उन्नत प्रजनन तकनीकों को , बेहतर पशुपालन तकनीकों को ,स्वच्छ बूचड़खानों और मांस सरंक्षण सुविधाओं को अपनाने पर जोर देती है। इसका उद्देश्य मांस उद्योग में आत्मनिर्भरता और उत्पादकता में सुधार करना था।गुलाबी क्राति का भारत में मांस उद्योग के विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसने रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं और आर्थिक विकास में योगदान दिया है। इसके अलावा, इसने की प्रोटीन आवश्यकताओं को पूरा करने और मांस के आयात पर देश की निर्भरता को कम करने में मदद की है।

सरल शब्दों कहें तो, गुलाबी क्राति मांस और कुक्कुट उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत में मांस उद्योग को अधिक आधुनिक, कुशल और उत्पादक बनाने के लिए थी। इसका उद्देश्य मांस की गुणवत्ता में सुधार करना, रोजगार सृजित करना और मांस के आयात पर निर्भरता कम करना है।

स्वर्ण क्रांन्ती (Golden Revolution)

स्वर्ण क्रांन्ती क्या है- स्वर्ण क्राति (द गोल्डन रिवॉल्यूशन ) भारत में एक बहुत बडा कृषि परिवर्तन था जो 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक के प्रारंभ में भारत में हुआ था। इसके तहत फल, सब्जियों, फूलों और मसालों सहित बागवानी क्षेत्र के विकास और आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया। इसका उद्देश्य उत्पादकता में वृद्धि करना, गुणवत्ता में सुधार करना, कृषि व्यवसाय को बढ़ावा देना और बागवानी में शामिल किसानों की आय और आजीविका में वृद्धि करना था।

उन्नत प्रथाओं, उच्च उपज वाली किस्मों, कुशल सिंचाई प्रणालियों और बेहतर कटाई के बाद के प्रबंधन को अपनाने के माध्यम से, स्वर्ण क्रांति ने बागवानी उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि, निर्यात के अवसरों का विस्तार, और बेहतर पोषण का नेतृत्व किया। इसने भारत की कृषि में विविधता लाने, ग्रामीण रोजगार पैदा करने, उद्यमिता को बढ़ावा देने और समग्र आर्थिक विकास में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

नीली क्रांति (Blue Revolution)

नीली क्राति क्या है– नीली क्राति मत्स्य (मछली) पालन क्षेत्र के आधुनिकीकरण और विकास के लिए लायी गई थी। इसका उद्देश्य उन्नत तकनीकों को अपनाकर मछली उत्पादन की उत्पादकता और दक्षता में वृद्धि करना है। नीली क्रांति पुरानी जलीय कृषि पालन, मछली प्रजनन और आनुवंशिकी में सुधार, कुशल मत्स्य प्रबंधन और मछली प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा देने पर केंद्रित था।

इसका उद्देश्य मछली उत्पादन को बढ़ाना, तटीय क्षेत्रों में आजीविका में सुधार करना और जलीय संसाधनों के संरक्षण को सुनिश्चित करते हुए मछली उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करना था। कुल मिलाकर, भारत में नीली क्रांति मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने, वहां विकास सुनिश्चित करने, उत्पादकता में वृद्धि, बेहतर आजीविका और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक पहल थी।

दोस्तों, उपरोक्त में हमने उन कृषि क्रांतियों का विस्तृत विवरण दिया है जो आपकी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण थी, इनके अलावा कुछ अन्य कृषि क्रांतियां है जिन से आधारित प्रश्न अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं, हमने उन प्रश्नों का एक मिक्स संकलन तैयार किया है।

महत्वपूर्ण कृषि क्रांति सम्बन्धी जीके प्रश्न-उत्तर

नोट- ये प्रश्न हमने पिछले वर्षों में आयोजित एसएससी, यूपीपीसीएल, यूपीएसएसएससी, बैंक, सीपीओ, सीजीएल, सीएचएसएल, एमटीएस, यूपी पुलिस, दिल्ली पुलिस, डीएसएसएसबी (SSC, UPPCL, UPSSSC, Bank, CPO, CGL, CHSL, MTS, UP Police, Delhi Police, DSSSB exams) की परीक्षओं से लिए है और मुझे यकीन है कि ये प्रश्न भविष्य में अन्य प्रतियोगी परिक्षाओ में भी पूछे जा सकते है। साथ ही इन सवालों से आपको आपकी आगामी प्रतियोगी परिक्षाओ में जरूर फायदा मिलेगा, मैं दावा नहीं कर रहा हूं, लेकिन मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि, कृषि क्राति (agricultural Revolution) के इस टॉपिक से यदि परिक्षा में सवाल पूछा गया तो निम्नलिखित प्रश्नों से ही पूछा जायेगा। इसलिए आप निम्नलिखित प्रश्नो को परिक्षा के लिहाज से बहुपयोगी मानकर पढें-

हरित क्रांति-

हरित क्राति का आरंभ 1960 में हुआ।

यह फसलों के उत्पादन से संबंधित है।

भारतीय हरित क्राति के जनक डॉक्टर स्वामीनाथन है। स्वामीनाथन को पहला नॉर्मन बोरलॉग पुरस्कार प्राप्त हुआ।

विश्व हरित क्राति के जनक नॉर्मन बोरलॉग है,

विश्व हरित क्राति में  योगदान के हेतु इन्हें 1968 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

श्वेत क्रांति (White Revolution)-  

भारत में श्वेत क्राति की शुरुआत 1964 -1965 में हुई।  

श्वेत क्राति दुग्ध उत्पादन से संबंधित है।  

डॉ वर्गीज कुरियन को श्वेत क्राति का जनक माना जाता है

पीली क्रांति या पीत क्रांति (yellow Revolution)-  

यह क्राति तिलहन, खाद्ध तेल के उत्पादन से संबंधित है।  

इसके तहत भारत को खाद्य तेल से आत्मनिर्भर करना था।

नीली क्रांति (blue Revolution) –  

नीली क्राति के तहत मत्स्य उत्पादन को बढ़ाना था,  

इसकी शुरुआत 1960 में हुई,  नील क्राति के जनक हीरालाल चौधरी थे

गुलाबी क्रांति (Pink Revolution)-  

गुलाबी क्राति के तहत प्याज व झींगा के उत्पादन में वृद्धि था।  

इसकी शुरुआत 1996 में हुई, गुलाबी क्राति के समय में ही भारत झींगा मछली का सबसे बड़ा उत्पादक बना।

सुनहरी क्रांति, द गोल्डन रिवॉल्यूशन-  

इस क्राति के तहत बागवानी को बढ़ावा देना था, विशेष रुप से पहाड़ी क्षेत्रों में सेब उत्पादन था, बाद में इसे शहद उत्पादन से भी जोड़ा गया।  

बागवानी में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर आता है, व जीडीपी में इसका योगदान 31% है,  

रजत क्रांति (Silver Revolution)-  

इस क्राति का उद्देश्य भारत में अंडा उत्पादन बढ़ाना था।  

भारत में अंडा उत्पादन सर्वाधिक आंध्र प्रदेश में होता है इसलिए आंध्र प्रदेश को अंडों की टोकरी भी कहा जाता है।  

रजत क्राति की शुरुआत, 2002 में बांग्लादेश के प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने किया था।

2006-07  में, राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत भी बागवानी को बढ़ावा दिया गया।

गोल क्राति (Round Revolution)-  

गोल क्राति के तहत भारत में आलू उत्पादन बढ़ाना था।  

पूरे विश्व में भारत, आलू उत्पादन में चीन के बाद दूसरे स्थान पर आता है।  

भारत में सर्वाधिक आलू  उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है।

सदाबहार क्राति-  

इस क्राति का उद्देश्य मिट्टी की उत्पादन क्षमता बढ़ाना,  

थानों को न्यूनतम दर पर लोन दिलाना, रेन वाटर, हार्वे कल्चर व कृषि शोध को बढ़ाना है।  

इस क्राति के तहत भारत को खाद्यान्न क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है।

धूसर क्राति-  

यह क्राति उर्वरक उत्पादन से संबंधित है,  

जानकारी के लिए बतादे कि – भारत में प्रतिवर्ष लगभग 25.5 मिलियन टन उर्वरक उत्पादन खपत होती हैं।

इंद्रधनुषी क्रांति-  

इस क्राति में सभी क्रांतियों को साथ लेकर चलने का उद्देश्य है,  

जुलाई 2000 में, नई कृषि नीति लागू हुई जिसे इंद्रधनुषी क्रांति कहा जाता है।

कांन्ति का नामक्रांन्ति सम्बन्धित क्षेत्र
. लाल क्राति का सम्बन्ध –टमाटर और मांस उत्पादन
सेफ्रॉन क्राति का सम्बन्ध –केसर उत्पादन
. गोल क्रांति (Round Revolution) का सम्बन्ध–आलू उत्पादन
स्वर्ण क्राति का सम्बन्ध–फल और शहद उत्पादन
हरित सोना क्रांति (Green Gold Revolution)का सम्बन्ध –बाँस उत्पादन से सम्बन्धित
ग्रीन गॉल्ड क्राति का सम्बन्ध–चाय उत्पादन
बादामी क्रांति का सम्बन्ध–मासाला उत्पादन
गुलाबी क्रांति का सम्बन्ध (Pink Revolution)–झींगा मछली उत्पादन
रजत क्रांति (सिल्वर क्रान्ती) का सम्बन्ध–अंडा उत्पादन
स्वर्ण रेशा क्राति का सम्बन्ध –कपास उत्पादन
व्हाइट गॉल्ड क्राति का सम्बन्ध–कपास उत्पादन से
नीली क्रांति का सम्बन्ध–मछली उत्पादन
पीली क्रांति का सम्बन्ध–तिलहन उत्पादन
श्वेत क्रांति (White Revolution) या ऑपरेशन फ्लड) का सम्बन्ध–दुग्ध उत्पादन
हरित क्रांति (Green Revolution)उच्च किस्म के बीजो दूारा चावल, अनाज जैसी फसलों का उत्पादन
मूक क्राति का सम्बन्ध–मोटा अनाज उत्पादन
भूरी क्राति का सम्बन्ध–उर्वरक उत्पादन
ग्रे क्राति का सम्बन्ध–उर्वरकों का उत्पादन
सदाबहार क्राति का सम्बन्ध–सभी कृषि विकास से सम्बन्धित
इंद्रधनुष क्राति का सम्बन्ध–सभी क्रांतियो से सम्बन्धित
खाद्य क्राति का सम्बन्ध–वर्ष 2020 तक भारतीय कृषकों की आमदनी को दुगुना करने
महत्वपूर्ण कृषि क्रांति।important agricultural revolution

भारत में,अन्य क्षेत्रों में हुई महत्वपूर्ण क्रांतिया-

काली क्राति सम्बन्धित थी   इस क्राति के तहत भारत में खदान तेल, एथेनॉल पेट्रोलियम कोयला का उत्पादन बढ़ाना था।  

कृष्ण क्राति सम्बन्धित थी – पेट्रोलियम उत्पादन से

सनराइज/सुर्योदय क्राति सम्बन्धित थी – इलेक्ट्रॉनिक उद्योग के विकास से

खाकी क्राति सम्बन्धित थी – चमड़ा उत्पादन से

अमृत क्राति सम्बन्धित थी – नदी जोड़ो परियोजनाएं से

N.H. स्वर्णिम क्रान्ति सम्बन्धित थी – स्वर्णिम चतुर्भुज योजना से

धूसर क्रान्ती सम्बन्धित थी – सीमेंट उत्पादन से सम्बन्धित से

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