गर्मी अपने चर्म पर है, ओर हर बार कि तरहा इस बार भी अलग-अलग राज्यों से लू लगने (heat stroke) से जन-हानि कि खबर आनें लगी है। राज्यों के आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों द्वारा आम जन को गर्मी में घर से बाहर न निकलने कि सलाह दी है। मुम्बई, बंगलौर एवं दिल्ली जैसे बडें शहरों में उष्मघात यानि लू से पिडित रोगीयों कि संख्या लगातार बढं रही है। इसलिए आज हम अपने इस महत्वपूर्ण लेख में आपको लू यानि उष्मघात से सावधानी, लक्षण एवं इसके उपचार के बारे में विस्तार से बतायेगें।
लू लगना यानि उष्मघात(heat stroke), गर्मी के मौसम में होने वाली बीमारी है जिसके अन्तर्गत हमारा शरीर गर्म हवाओं एवं धूप के सम्पर्क में अधिक आने से हमारे शरीर का तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है। यह गर्मी के दौरान, तापमान के उच्च स्तर और धूप के अधिक सम्पर्क में आने के कारण होता है।
जब हमारा शरीर को अधिक उष्मिय ताप के संम्पर्क में आता है, तो यह अपने सामान्य स्तर से अधिक पानी खो देता है, जिससे शरीर की तरलता कम हो जाती है। यदि शरीर में पानी की कमी अत्यधिक हो जाए तो, इसे हीट इग्जॉस्चन एवं हीट स्ट्रोक अथवा उष्मघात कहते है, जिसे हमारी देशीय भाषा में लू लगना भी कहा जाता है। यह जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए लक्षण नजर आने पर इस बिमारी को हल्के में ना ले।
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इसके अलावा, आपको लू लगने पर निम्नलिखित चीजें खाने से बचना चाहिए–
जैसा किआप जानते है लू से जन-हानि भी हो सकती है। इसके असर को कम करने के लिए और लू से होने वाली मौत की रोकथाम के लिए निम्न सावधानियां बरतें-
मुख्य रूप से यह दो प्रकार की होती है- 1. इग्जॉस्चन 2. हीट स्ट्रोक
गर्मी में लू लगने से इग्जॉस्चन के लक्षण | गर्मी में लू लगने से हीट स्ट्रोक के लक्षण |
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अत्यधिक प्यास का लगना | प्यास के साथ धडकन तेज होना |
शरीर का तापमान बढना | शरीर का ताममान अधिक बढा हुआ होना |
मांशपेशियों में ऐठन होना | मांशपेशियों में ऐंठन, ओर अधिक दर्द महशूस करना |
जी मचलाना या उल्टी आना | जी मचलाना एवं अधिक उल्टियां होना, पेट में दर्द होना |
सिर में भारीपन या सिर दर्द होना | सिर में दर्द होना, साथ में चक्कर आना |
भ्रांति, उलझन महशूस करना | मानसिक एवं शारिरीक संतुलन खो देना |
पेशाब कम आना | पेशाब ना आना, दस्त अधिक होना |
अधिक पसीना आना, एवं त्वचा पर चिपचिपा तरल महशूश करना | पसीना आना बंन्द होना, पसीने कि ग्रंथी का निष्क्रय हो जाना |
त्वचा व होठो का सुखना | त्वचा ओर चेहरे का रंग लाल पड जाना |
पिडित सामान्य स्थिती में चल सकता है। लेकिन आराम आवश्यक है। | मरीज इस स्थिती मे चक्कर आकर बेशुद्ध होकर गिर जायेगा। |
कुछ समय बाद सामान्य महसूस होने लगेगा, रक्तचाप स्थिर हो जायेगा | इस स्थिती में पिडित को तुरन्त सही इलाज कि आवश्यक्ता है। |
गर्मी में लू लगने से इग्जॉस्चन के प्राथमिक उपचार | गर्मी में लू लगने से हीट स्ट्रोक का उपचार |
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इसे सामान्य मानकर, घरेलू उपचार दिया जा सकता है। | यह घातक सिद्ध हो सकता है, चिकित्सीय परामर्श जरूरी है |
व्यक्ति को तुरंत पंखे के नीचे या छायादार ठंड़े स्थान पर ले जाए | मरीज को तुरंत नजदीक के स्वास्थ केंद्र में ले जाए, कपड़ो को ढीला करे दे |
कपडो को ढीला करे दे | चिकित्सा केंन्द्र संभव नही है तो पंखे के नीचे या छायादार ठंड़े स्थान पर ले जाए |
शरीर को गीले कपडे का स्पर्श दे | मरीज को चेतना में लाने हेतू, मांसपेशियों कि हल्की मालिश करें |
ओ आर एस का घोल पिलाए | यदि मरीज कुछ पीने की स्थिती मे आ जाये तो कुछ शीतल पेय पिलाए |
निम्बू का पानी नमक मिलाकर पिलाए | अब ओ आर एस का घोल थोडे थोडे अन्तराल में पिलाते रहे। |
मांशपेशियों पर दबाव के साथ मालिश दे | रक्तचाप स्थिर करने के लिए नींबू का पानी नमक के साथ दे। |
सामान्य स्थिती तक, शरीर के तापमान की बार बार जाँच करे | स्थिती सामान्य होने पर चिकित्सीय परिक्षा जरूर करायें। |
यदि कुछ समय में सामान्य न हो, तो तुरंत मरीज को चिकित्सा केंद्र ले जाए। | मरीज को चिकित्सीय परिक्षण के बाद आराम अति आवश्यक है। |
उपरोक्त विवरण से आप समझ गये होंगे कि लू लगना एक गंभीर बिमारी बन सकती है यदि आप, समय रहते सतर्क नहीं हो जाते है। इसे अनदेखा कतई न करे, यह जानलेवा हो सकती है। धूप के कारण, यह तापमान के उच्च स्तर तक पहुँचकर, हमारे शरीर के तापमान को बढ़ाकर शरीर मे पानी की कमी पैदा करती है। यू तो लू लगने के दौरान ओर पहले क्या क्या सावधानी हमें बरतनी चाहिए, ये सब उपरोक्त में हमने विस्तार से बताया है, इसके अलावा, आप प्रचुर मात्रा में शीतल पेय पदार्थों का सेवन करे, धूप से बचें और हमेशा अपने स्वास्थ्य की देखभाल करें। फिर भी, आपको लू लगने के लक्षण महसूस हों, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेंं।
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